बुंदेली लोक साहित्य का इतिहास
लोक साहित्य मनुष्यता की सा मसिक अभिव्यक्ति का प्रतीक होते हैं जिनसे अंचल विशेष की भाषा बोली में लोक सांसे लेता है और अपनी जीवन प्रवेश इतिहास समकाल रितु धार्मिक सांस्कृतिक राजनैतिक व्यक्तिगत एवं समस्त विगत भावनाओं को प्रकट करता है बुंदेलखंड अंचल भी इसका अपवाद नहीं है प्राचीन काल में दशार्ण और चीन देश के नाम से जाना जाने वाला यह क्षेत्र मध्य काल से बुंदेलखंड नाम से विख्यात हुआ बुंदेलखंड में लोक की अभिव्यक्ति की सुधीर परंपरा रही है जिसके सूत्र तेरहवीं शताब्दी से मिलने शुरू हो जाते हैं भारत के हृदय के रूप में विद्यमान मध्य भारत का बुंदेलखंड प्रांत और लोक साहित्य की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है भौगोलिक दृष्टि से उत्तर और दक्षिण भारत को जोड़ने वाले द्वार के तौर पर अवस्थित इस क्षेत्र को अनेक बार विदेशियों के आक्रमण का दंश सहन करना पड़ा फलतः यहां के निवासियों तथा इसके लोक साहित्य में वीरत्व का भाव स्वभाविक रूप से फलित हुआ अंतिम बुंदेला शासक देव के शासनकाल में जन कवि जगनिक ने ...